दर्दो को कैसे मैं आज लिख दू
बरसो के रूठे कैसे अलफ़ाज़ लिख दू
तन्हाई ने दिया ख़ामोशी का सबब
कैसे तनहा सारे राज लिख दू
वक़्त ने सिला दिया बेबसी का
बेबसी के कौन से साज लिख दू
कैद है उलझनों की हर तरफ
उलझन पे उलझन के नाज लिख दू
दर्द में डूबे हुए अश्क़ो को
दर्द की नयी एक आवाज़ लिख दू
क्या लिखे क्या ना लिखे
किस मोड़ को नया आगाज़ लिख दू .....
Comments
Post a Comment