एक रात हो ऐसी काली सी
कोई और सबेरा ना हो अब
मांगे ये दुआ अब दिल मेरा
कोई और बसेरा ना हो अब
हम चलते रहे बस राहों में
मंजिल बाखुदा ना हो अब
बिखरे टुकड़े हम चुन लेंगे
तू काँच बिखेर बस राहो में
हसरत का पता अब रब जाने
हम टूटे है इस पल में अब
उम्मीदों से नाउम्मीदिगी है
हर ओर खता कुछ यूँ बैठी है
दिल रोता है अब रातो में
आँखों में खला कुछ यूँ बैठी
है दर्द के लम्हे पलकों में
पलकों में दुआ कुछ यूँ बैठी
एक रात हो ऐसी काली सी
कोई औऱ सबेरा ना हो बस .....
कोई और सबेरा ना हो अब
मांगे ये दुआ अब दिल मेरा
कोई और बसेरा ना हो अब
हम चलते रहे बस राहों में
मंजिल बाखुदा ना हो अब
बिखरे टुकड़े हम चुन लेंगे
तू काँच बिखेर बस राहो में
हसरत का पता अब रब जाने
हम टूटे है इस पल में अब
उम्मीदों से नाउम्मीदिगी है
हर ओर खता कुछ यूँ बैठी है
दिल रोता है अब रातो में
आँखों में खला कुछ यूँ बैठी
है दर्द के लम्हे पलकों में
पलकों में दुआ कुछ यूँ बैठी
एक रात हो ऐसी काली सी
कोई औऱ सबेरा ना हो बस .....
Comments
Post a Comment