जीत ही जो लक्ष्य है
तो हार से क्यों थमे
आसमान से कह दो की
हौसले बुलंद है
तोड़ कर हर बंदिशों को
लक्ष्य को पा लेंगे
गर्दिशो के तारो को
औकात भी दिखा देंगे
तो हार से क्यों थमे
आसमान से कह दो की
हौसले बुलंद है
तोड़ कर हर बंदिशों को
लक्ष्य को पा लेंगे
गर्दिशो के तारो को
औकात भी दिखा देंगे
वक़्त की कठनाईयोँ में भी
राह हम तराशेंगे
असंभव सा जो है बैठा
फतह उसपे पा लेंगे
देख ले आगाज़ तू
अंजाम भी दिखा देंगे
हौसलों की राह से
हर मुश्किलें मिटा देंगे
हार की गहराइयों से
जीत को चुरा लेंगे
आसमान पर जीत का
डंका यूँ बजा देंगे
वक़्त तू भी देखना
वक़्त कैसा ला देंगे
मुश्किलों की धरती पर
उम्मीद भी जगा देंगे
जीत ही जो लक्ष्य है
तो कर फतह दिखा देंगे .....
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