Skip to main content

Posts

Showing posts from February, 2024

British Policies in India

  British Policies in India Administrative Policy The administrative policy of EICo underwent frequent changes with stable objectives of increasing company profitability, increasing profitability to Britain as whole and maintaining the stronghold in India.  Policy of Ring of Fence(1765~)- Introduced by Warren Hestings aimed to create buffer zones to defend the Company's frontiers Subsidiary Alliance(1799~)-  Introduced by  Wellesley  as an extension of Policy of Ring of Fence  Policy of Subordinate Isolation(1813~)-  Indian states were supposed to work in subordinate cooperation with the British government(Supremacy of British Power)  Forward Policy(1836~)-  Policy of Lord Auckland led to 1st Anglo-Afghan war Policy of Subordinate Union(1858-1935)-   Policy of Masterly Inactivity(1864~)-  Policy of John Lawrence after 1st Anglo-Afghan war disaster Policy of Proud Reserve(1876~)-  Policy of Lord Lytton led to 2nd Anglo-Afghan ...

Women Personality in Pre Independence Era

  Women Personality in Pre Independence Era Rani Velu Nachiyar(1730-1796)-  She was the first Indian queen(Sivaganga estate) to wage war with the East India Company in India. She regained her kingdom after defeating EICo. with the help of Hyder Ali and many mores. In Tamil she is regarded as Veeramangai .  She was a scholar of French, English, and Urdu languages. Savitribai Phule(1831-1897)-  She raised her voice against caste and gender discrimination. In 1848 she started school in Pune for girl education. She died while serving the Plague affected people.  Pandita Ramabai Sarasvati(1858-1922)-  1st woman to be awarded the titles of Pandita as a Sanskrit scholar and Sarasvati after being examined by the faculty of the University of Calcutta. In 1882, she presented the issue of women education to Hunter Commission . She founded Arya Mahila Samaj(Pune, 1882) . In the same year she wrote Stri Dharma Niti(Morals for Women) book and in 1883 she moved to B...

फिरंगिया(मनोरंजन प्रसाद सिन्हा)

   असहयोग आंदोलन के दौरान 1921 में मनोरंजन प्रसाद सिन्हा द्वारा रचित भोजपुरी कविता फिरंगिया। भारत में प्रतिबंध लगने की वजह से यह कवित मारीशस देश में प्रकाशित हुई और वहाँ से इसका प्रचार भारत में भी हुआ। सुन्दर सुघर भूमि भारत के रहे रामा आज इहे भइल मसान रे फिरंगिया अन्न धन जल बल बुद्धि सब नास भइल कौनों के ना रहल निसान रे फिरंगिया जहॅवाँ थोड़े ही दिन पहिले ही होत रहे लाखों मन गल्ला और धान रे फिरंगिया उहें आज हाय रामा मथवा पर हाथ धरि बिलखि के रोवेला किसान रे फिरंगिया सात सौ लाख लोग दू-दू साँझ भूखे रहे हरदम पड़ेला अकाल रे फिरंगिया जेहु कुछु बॉचेला त ओकरो के लादि लादि ले जाला समुन्दर के पार रे फिरंगिया घरे लोग भूखे मरे, गेहुँआ बिदेस जाय कइसन बाटे जग के व्यवहार रे फिरंगिया जहॅवा के लोग सब खात ना अधात रहे  रूपयासे रहे मालामाल रे फिरंगिया उहें आज जेने-जेने आँखिया घुमाके देखु  तेने-तेने देखबे कंगाल रे फिरंगिया बनिज-बेपार सब एकहू रहल नाहीं सब कर होइ गइल नास रे फिरंगिया तनि-तनि बात लागि हमनी का हाय रामा जोहिले बिदेसिया के आसरे फिरंगिया कपड़ों जे आवेला बिदेश से त हमनी का पेन्ह के रखि...

भोजपुरी भाषा

  भोजपुरी भाषा भोजपुरी भाषा का इतिहास 7वीं सदी से शुरू होता है। इसकी उत्पत्ती मगधी प्राकृत से हुई है। बंगाली, ओड़िया, असमिया, मैथिली, मगही, आदि  को भोजपुरी की बहन भाषाएँ मानते हैं। नेपाल, फिजी और मॉरिशस में भोजपुरी को संविधानिक मान्यता प्राप्त है।  संत कबीर दास का जन्मदिवस(ज्येष्ठ पूर्णिमा) को विश्व भोजपुरी दिवस के रूप में मनाया जाता है। मध्य काल में उज्जैन से आए भोजवंशी परमार राजाओं ने बिहार के आरा जिले में भोजपुर नामक नगर बसाया था। उन्होंने अपने पूर्वज राजा भोज के नाम पर नगर का नाम भोजपुर रखा था। इसी कारण इसके पास बोली जाने वाली भाषा का नाम "भोजपुरी" पड़ गया।   बिदेसिया(साहित्यिक योगदान)-  बिदेसिया की उत्पत्ति उत्तर प्रदेश के कुतुबपुर गाँव से हुई थी। भोजपुरी के शेक्सपियर, भोजपुरी साहित्य के जनक, भिखारी ठाकुर(1887-1971, बिहार)  ने बिदेसिया को प्रचलित बना दिया। भिखारी ठाकुर ने बिदेसिया सहित बारह नाटक लिखे। बिदेसिया की लोकप्रियता के कारण यह बिहार के भोजपुरी क्षेत्र की लोक नाट्य शैली बन गई है। भिखारी ठाकुर ने भोजपुरी को ही अपने काव्य और नाटक की भाषा बनाया। रा...