भोजपुरी भाषा
भोजपुरी भाषा का इतिहास 7वीं सदी से शुरू होता है। इसकी उत्पत्ती मगधी प्राकृत से हुई है। बंगाली, ओड़िया, असमिया, मैथिली, मगही, आदि को भोजपुरी की बहन भाषाएँ मानते हैं। नेपाल, फिजी और मॉरिशस में भोजपुरी को संविधानिक मान्यता प्राप्त है।
संत कबीर दास का जन्मदिवस(ज्येष्ठ पूर्णिमा) को विश्व भोजपुरी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
मध्य काल में उज्जैन से आए भोजवंशी परमार राजाओं ने बिहार के आरा जिले में भोजपुर नामक नगर बसाया था। उन्होंने अपने पूर्वज राजा भोज के नाम पर नगर का नाम भोजपुर रखा था। इसी कारण इसके पास बोली जाने वाली भाषा का नाम "भोजपुरी" पड़ गया।
बिदेसिया(साहित्यिक योगदान)-
बिदेसिया की उत्पत्ति उत्तर प्रदेश के कुतुबपुर गाँव से हुई थी। भोजपुरी के शेक्सपियर, भोजपुरी साहित्य के जनक, भिखारी ठाकुर(1887-1971, बिहार) ने बिदेसिया को प्रचलित बना दिया। भिखारी ठाकुर ने बिदेसिया सहित बारह नाटक लिखे। बिदेसिया की लोकप्रियता के कारण यह बिहार के भोजपुरी क्षेत्र की लोक नाट्य शैली बन गई है।
भिखारी ठाकुर ने भोजपुरी को ही अपने काव्य और नाटक की भाषा बनाया। राहुल सांकृत्यायन ने भिखारी ठाकुर को 'अनगढ़ हीरा' कहा था तो जगदीशचंद्र माथुर ने 'भरत मुनि की परंपरा का कलाकार'।
मनोरंजन प्रसाद सिन्हा, राजेंद्र कॉलेज, छपरा के प्रिंसिपल थे। 1921 में असहयोग आंदोलन के दौरान उन्होंने भोजपुरी कविता फिरंगिया लिखी थी। जिस पर तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था। मनोरंजन प्रसाद सिन्हा बिदेसिया से प्रभावित होकर भोजपुरी भाषा में फिरंगिया कविता की रचना की।
महेंदर मिसिर भोजपुरी के एक मूर्धन्य साहित्यकार हैं तथा उन्हें पुरबी सम्राट के नाम से जाना जाता है।
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