पता है वो रात कैसी गुजरी, जैसे सुबह ही कही खो गयी हो। पहले प्रहर की शुरुआत और दरवाजे पे तीन दस्तक। शुरू शुरू में ऐसा लगा जैसे बच्चे अटखेलिया खेल रहे हो। पर जैसे जैसे दरवाजे की तरफ कदम बढ़ाया आवाज और तेज होती रही। दरवाजा खोला तो कोई नहीं, फिर जब दरवाजा बंद कर के वापस लौटा तो दरवाजे पर और भी जोरो से दस्तके होने लगी।
ये सिलसिला काफी देर तक चलता रहा और दस्तकों की आवाज हर बार बदलती रही। कभी कभी तो ऐसा लगा जैसे दरवाजा खटखटाने की जगह कोई चीख रहा हो। और हर चीख में दर्द गूँजता रहा। आलाम ये हो गया की हलकी सी आहट पर भी पसीने आने लगे।
रात के 1 बजे दरवाजे पर एक और दस्तक। पर इस बार दस्तक की आवाज कुछ अलग थी। डरते हुए दरवाजा खोला तो सामने मिस्टर एंड मिसेज वूड को देखकर हौसला बढ़ा। इससे पहले मैं कुछ बोल पाता मिसेज वूड बेहोश होकर गिर गयी। मैं मदद के लिए आगे ही बढ़ा था की मिस्टर वूड घबराकर पीछे हट गए।
थोड़ी ही देर में आसपास के लोग इकठठा हो गए। मैं कुछ समझ पाता इससे पहले ही लोगो ने मुझे पकड़कर एक खंभे के सहारे बाध दिया। बंधन इतना मजबूत था की मैं हिल भी नहीं पा रहा था। और उसके एक दिन बाद खुद को इस बंद कमरे में पाया। कई साल बीत गए उस रात को पर वो रात आज भी मेरे जहन में दस्तकों सी गूँजती है। एक ऐसी रात जिसके राज़ को मैं आज तक समझ नहीं पाया।
ये सिलसिला काफी देर तक चलता रहा और दस्तकों की आवाज हर बार बदलती रही। कभी कभी तो ऐसा लगा जैसे दरवाजा खटखटाने की जगह कोई चीख रहा हो। और हर चीख में दर्द गूँजता रहा। आलाम ये हो गया की हलकी सी आहट पर भी पसीने आने लगे।
रात के 1 बजे दरवाजे पर एक और दस्तक। पर इस बार दस्तक की आवाज कुछ अलग थी। डरते हुए दरवाजा खोला तो सामने मिस्टर एंड मिसेज वूड को देखकर हौसला बढ़ा। इससे पहले मैं कुछ बोल पाता मिसेज वूड बेहोश होकर गिर गयी। मैं मदद के लिए आगे ही बढ़ा था की मिस्टर वूड घबराकर पीछे हट गए।
थोड़ी ही देर में आसपास के लोग इकठठा हो गए। मैं कुछ समझ पाता इससे पहले ही लोगो ने मुझे पकड़कर एक खंभे के सहारे बाध दिया। बंधन इतना मजबूत था की मैं हिल भी नहीं पा रहा था। और उसके एक दिन बाद खुद को इस बंद कमरे में पाया। कई साल बीत गए उस रात को पर वो रात आज भी मेरे जहन में दस्तकों सी गूँजती है। एक ऐसी रात जिसके राज़ को मैं आज तक समझ नहीं पाया।
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