सबको संकट से उबारने वाले संकटमोचन हनुमान का एक रूप है पंचमुखी हनुमान, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते है।
तो आइये जाने क्या है पंचमुखी हनुमान की कथा।
(यादगिरिगुट्टा, तेलंगाना)
रावण को जब युद्ध में अपनी पराजय दिखने लगी, तो उसने अपने भाई अहिरावण (पाताल के राजा) से मदद माँगी।
अपने भाई की मदद हेतु अहिरावण छल के जरिये भगवान राम और लक्ष्मण को पाताल लोक ले कर चला गया। पाताल लोक में वो भगवान राम और लक्ष्मण की बलि चढ़ाने की तैयारी करने लगा।
हनुमान जी को जब इस बात का पता चला तो वो पाताल लोक के लिए रवाना हो गये। पाताल लोक रवाना होने से पहले विभीषण ने हनुमान जी को बताया की अहिरावण की शक्तियाँ पांच दीपको में है। जो इन पाँचो दीपको को एक साथ बुझायेगा वही अहिरावण को मार सकता है।
पाताल लोक में आने के बाद एक जगह पर हनुमान जी को पाँच दीपक दिखे। चार दीपक चार दिशाओं में रखे थे और पाँचवा दीपक ऊँचे स्थान पर रखा था।
पाँचो दीपको को एक साथ बुझाने के लिए हनुमान जी ने पंचमुखी अवतार लिया।
वानर मुख- पूर्व दिशा
गरुड़ मुख- पश्चिम दिशा
वराह मुख- उत्तर दिशा
नृसिंह मुख- दक्षिण दिशा
अश्व(हयग्रीव) मुख: आकाश दिशा की ओर
इस तरह से पंचमुखी हनुमान ने भगवान राम और लक्ष्मण की रक्षा की। माना जाता है की पंचमुखी हनुमान हर दिशा से आने वाले संकट को हर लेते है।
पंचमुखी हनुमान के चार मुख भगवान विष्णु के आवतारो से जुड़े है- वराह अवतार, नृसिंह अवतार, हयग्रीव अवतार, गरुड़ अवतार
इसलिए पंचमुखी हनुमान की पूजा से लक्ष्मी जी भी प्रसन होती है।
चित्रकार कागज़ पर चारो दिशाओं को नहीं दर्शा सकते इसलिए वो पंचमुखी हनुमान के चित्र में भगवान के सभी मुखों को शिर्ष दिशा में दिखा देते है।
कई मंदिरो में पंचमुखी हनुमान की सही मूर्ति देखने को मिलती है जहाँ भगवान हनुमान के पाँच सर अलग अलग दिशा में होते है। पर ज्यादातर मंदिरों में पंचमुखी हनुमान की मूर्ति चित्रकारों के चित्र से मिलती जुलती है जहाँ पांचो मुख शिर्ष दिशा कीओर है(यादगिरिगुट्टा, तेलंगाना)।
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