जब त्रिपुरासुर राक्षस ने अपने आतंक से मनुष्यों सहित देवी-देवताओं और ऋषि मुनियों आदि सभी को त्रस्त कर दिया था, तब सभी देव गणों ने भगवान शिव से उस राक्षस का अंत करने हेतु निवेदन किया।
जिसके बाद भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध कर दिया। देवता अत्यंत प्रसन्न होकर शिव जी का आभार व्यक्त करने के लिए उनकी नगरी काशी में पधारे। कार्तिक मास की पूर्णिमा को देवताओं ने काशी में अनेकों दीए जलाकर भगवान शिव का सत्कार किया। यही कारण है कि हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा पर काशी में देव दीपावली मनाई जाती है। देव दीपावली हर साल दीपावली के 15 दिन बाद मनाया जाता है।
मान्यता है की इस दिन देवता पृथ्वी पर आकर गंगा में स्नान करते हैं।
इस दिन दीपदान करने का भी विशेष महत्व होता है और इससे देवता गण भी प्रसन्न होते हैं।
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