बैकुंठ चतुर्दशी- जब नारद ऋषि के आग्रह पर भगवान विष्णु ने बैकुंठ का द्वार एक दिन(कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी) के लिए आम जन मानस के लिए खोल दिया।
आज के दिन भगवान भगवान विष्णु और भगवान् शिव की पूजा एक साथ होती है।
चातुर्मास में भगवान विष्णु के योगनिद्रा में होने के कारण सृष्टि का कार्यभार भगवान शिव के पास होता है। इसके बाद देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं। तब चतुर्दशी के दिन बैकुंठ के द्वार खुलते हैं और भगवान शिव चतुर्दशी के दिन सृष्टि का कार्यभार पुन: विष्णुजी को सौंपने बैकुंठ जाते हैं।
इसलिए बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा एक साथ होती है।
बैकुंठ चतुर्दशी के ही दिन भगवान विष्णु ने भगवान शिव को 1000 कमल अर्पित किये थे, जिसके उपरान्त भगवान शिव प्रसन्न होकर भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र प्रदान किया था। इसलिए आज के दिन भगवान विष्णु को कमल चढ़ाते है।
Comments
Post a Comment