मोहिनी एकादशी
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि भगवान विष्णु की प्रिय तिथि होने के कारण एकादशी का विशेष महत्व होता है। एक महीने में 2 और एक साल में कुल 24 एकादशी तिथियां पड़ती है। वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवाव विष्णु ने मोहिनी रुप धारण करके असुरों का नाश किया था।
समुद्र मंथन के दौरान जब विष और अमृत दोनों निकला, तब भगवान शिव ने विष का पान करके देवताओं और समस्त श्रृष्टि की रक्षा की।
और भगवान विष्णु ने मोहिनी रुप धारण कर अमृत को असुरों से बचाया। मोहिनी के रूप में भगवान ने असुरों को अपने जाल में फंसाकर, देवताओं को अमृतपान कराया। इसलिए इस एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।
मोहिनी एकादशी व्रत कथा
पुराने समय में भद्रावती नगर में एक धनी व्यक्ति रहता था। उसका नाम धनपाल था। धनपाल स्वभाव से दानी किस्म का व्यक्ति था और काफी दान-पुण्य करता था। धनपाल के पांच बेटे थे, लेकिन उसका सबसे छोटा बेटा धृष्टबुद्धि हमेशा बुरे कर्मों में लिप्त रहता था। धृष्टबुद्धि की आदतों से परेशान होकर पिता धनपाल ने उसे घर से निकाल दिया। धृष्टबुद्धि घर से निकाले जाने के बाद भटकते हुए महर्षि कौण्डिल्य के आश्रम पर पहुंचा, जहाँ उसने महर्षि से अपने पापों को कम करने के लिए उपाय पूछा तो ऋषि ने मोहिनी एकादशी व्रत रखने की सलाह दी। उसने विधि-विधान से मोहिनी एकादशी व्रत किया, जिससे उसके सभी पाप नष्ट हो गए और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।
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