आँखों में ख़्वाब थे रोटी के और खुदा चाँद दे गया भूख की बेचैनी भरी हमें ऐसी कई रात दे गया अपनी इस बेचैनी को चाँद से मै मिटाऊं कैसे ये समझने को नासमझ खुदा तनहा रात दे गया ..... --------------------------****************------------------------- दीवार के तपते कोनो में गुजारी रातें सर्द कई तेज हवा बारिश के छींटे सुर्ख दरारों के थे मर्ज कई ..... --------------------------****************------------------------- नज़रो से नज़रे अदा कर गए एक नज़र में ही गुनाह कर गए हम खोये रहे मासूमियत में एक और मासूमियत से वो तबाह कर गए ..... --------------------------****************------------------------- कागज़ों पे दर्द के किस्से आज हो गए रूठे हुए से मुझसे अलफ़ाज़ हो गए ख्वाइशे ले आयी जनाजे तक मुझे और ख्वाइश के हिस्से हम आज हो गए ..... --------------------------****************------------------------- रातो ने आँखों पे पहरे लगा दिए नजरो पे ख़्वाबों के सहरे लगा दिया ख्वाब दिया दर्दो के समंदर का एक और अश
बूँद a drop/ Boond a drop success is unpredictable but struggle is always defined by you.