हिन्दू पञ्चाङ्ग हिन्दू पञ्चाङ्ग में महीनों की गणना चंद्रमा की गति के अनुसार की जाती है। पूर्णिमा के दिन, चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है उसी आधार पर महीनों का नामकरण हुआ है। हिन्दू पञ्चाङ्ग में 30-30 दिनों के 12 मास होते है। हिन्दू पञ्चाङ्ग के 12 मास- 1. चैत्र(मार्च-अप्रैल), 2. वैशाख, 3. ज्येष्ठ, 4. आषाढ़, 5. श्रावण, 6. भाद्रपद, 7. आश्विन, 8. कार्तिक, 9. मार्गशीर्ष, 10. पौष, 11. माघ, 12. फाल्गुन चन्द्रमा की कलाओं के ज्यादा या कम होने के अनुसार ही महीने को दो पक्षों में बांटा गया है- (15 दिन)कृष्ण पक्ष और (15 दिन)शुक्ल पक्ष। पूर्णिमा से अमावस्या तक बीच के दिनों को कृष्णपक्ष कहा जाता है तथा अमावस्या से पूर्णिमा तक का समय शुक्लपक्ष कहलाता है। दोनों पक्षो की पौराणिक कथाएं- 1. कृष्णपक्ष(मास का प्रथम 15 दिन ) दक्ष प्रजापति ने अपनी सत्ताईस बेटियों का विवाह चंद्रमा से कर दिया। ये सत्ताईस बेटियां सत्ताईस नक्षत्र हैं। लेकिन चंद्र केवल रोहिणी से प्यार करते थे। ऐसे में बाकी पुत्रियों ने अपने पिता से शिकायत की कि चंद्र उनके साथ पति का कर्तव्य नहीं निभाते। दक्ष प्रजापति के डांटने के बाद भी चंद्र न
बूँद a drop/ Boond a drop success is unpredictable but struggle is always defined by you.